ब्राह्मण नहीं रहेगा तो हिंदुत्व का क्या औचित्य: जुगुल किशोर तिवारी

अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद के 9 फरवरी को प्रतापगढ़ में आयोजित वार्षिक सम्मेलन में परिषद के मार्गदर्शक एवं संरक्षक पं. जुगल किशोर तिवारी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि आप सभी को स्वयं से श्रेष्ठ मानते हुए प्रणाम करता हूं। सुख-सुविधा और सम्मान लेने की नहीं अपितु देने की इच्छा रखनी चाहिए, यह ऐसा सूत्र है जिससे आप स्वयं ही आदरणीय हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज का दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि भगवान परशुराम जी की अनुकंपा से मंच पर तीन ऐसे राजनीतिक व्यक्ति भी मंच पर उपस्थित हैं जो अपने बलबूते अनेकों कष्ट उठाकर यहां तक पहुंचे हैं। ब्राह्मणों ने स्वयं को हर तरह की परिस्थितियों में संतुष्ट मानकर स्वयं के साथ अत्याचार ही किया है लेकिन अब हमें अपने अंदर असंतोष उत्पन्न करना होगा, संतोष बहुत कर लिया है। आज संकट सिर्फ ब्राह्मण पर ही नहीं मानवता एवं राष्ट्र पर भी है, क्योंकि देश की सर्वोच्च कार्यपालिका लोकसभा उसके अध्यक्ष का वह प्रतिष्ठित पद है जिसे देश से चुने गए जनप्रतिनिधियों को भी सम्मान करना पड़ता है परंतु श्री ओम बिरला जी ने एक जनसभा में ब्राह्मणों के लिए चार शब्द क्या बोले लोगों को बर्दाश्त से बाहर हो गया और उन्हें अपमानजनक शब्दों से प्रत्युत्तर मिला। उन्होंने कहा कि यह स्थिति चिंताजनक है इसलिए हम वैचारिक क्रांति के पक्षधर हैं। भगवान राम को राजा बनाने का विचार सिर्फ दशरथ का ही नहीं था अपितु प्रजा का एक बड़ा वर्ग भी वही चाहता था, जब सहमति बनी तो गुरु वशिष्ठ ने तिथि नहीं देखी थी और कालदर्शक पंचांग को बचा लिया था क्योंकि देवता कुछ और चाहते थे। गांधी जी ने नारा दिया था 1942 में ‘‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’’ उन्होंने समाज को जागृत किया और उनका यह प्रयास वैचारिक क्रांति वन जन-जन के दिलों दिमाग में उतर गया, परिणाम आप जानते ही हैं। इसलिए हम वैचारिक क्रांति चाहते हैं आज हमारी तरफ चैतरफा हमले हो रहे हैं फिर वह सोशल मीडिया हो, ट्विटर हो, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हो या फिर प्रिंट मीडिया, इसलिए हमें सख्त विरोध के लिए खड़ा होना होगा।


ब्राह्मण नहीं रहेगा तो हिंदुत्व का क्या औचित्य, कौन उसकी रक्षा करेगा, इसलिए हम कहते हैं हिंदुत्व पर खतरा मंडरा रहा है हमारी सामाजिक स्थिति यह हो चुकी है कि जो संस्थाएं वर्षों से हिंदुत्व के लिए कार्यरत हैं वह हम से दूरी रखना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है हमारे ऋषियों ने कई ऐसे लोगों को अपना गोत्र दिया जो बिना उसके समाज में वर्जित समझी जाति रहे। महाभारत काल तक वर्ण व्यवस्था रही उसके बाद वर्ण व्यवस्था शुरू हुई जैसे लोहे का काम करने वाला लोहार, सोने का काम करने वाला सुनार कहा जाने लगा। समाज में एक अभियान चल रहा है सोने चांदी की स्याही से पांडुलिपियां लिखवाई जा रही हैं, हम सिकुड़ चुके हंै, कपोत नीति से काम नहीं चलेगा। हमारे देश में सर्वप्रथम ब्राह्मण ने ही सिर पर मैला ढोने की व्यवस्था को खत्म करने की खातिर सुलभ कांप्लेक्स की व्यवस्था दी, समाज कैसे कह सकता है कि हम शोषक हैं। हमारे सामने तीन प्रकार के मार्ग हैं त्याग, तपस्या और सत्कर्म जो हमारे पूर्वज करते रहे, क्या आज यह संभव है। राजनीति में पैर छूने वालों की संख्या ज्यादा है, शंकराचार्य के पैर छूने वालों की कम, दूसरा मार्ग है बल-लोग कहते हैं हम शस्त्र धारण कर प्रतिकूल वातावरण तैयार करेंगे तो श्रीलंका में उग्रवादी संगठन लिट्टे, पंजाब में खालिस्तानी समर्थकों का अंत हमारे सामने है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सशक्त उपाय है एकजुटता की ताकत, हमें इस पर कदम बढ़ाने होंगे जब हम अपने समाज से लोगों को राजनीति में भेज सकेंगे तभी हम उनसे अपेक्षा कर सकते हैं। हम वर्ण और जाति में सबसे बड़े हैं भौकाल बना कर रखना होगा। हिंसक जीवांे का मनपसंद भोजन है हिरण और खरगोश, आज ब्राह्मण को भी इसी तरह निरीह समझकर प्रताड़ित किया जा रहा है। अपने देश में ही नहीं विदेशों में भी हम ईष्र्या का विषय बन चुके हैं। इसका समुचित जबाब देना होगा। मेरा संकल्प एक विद्यालय की स्थापना करने का है जिसमें शारीरिक श्रम, संस्कार के साथ शिक्षा की व्यवस्था हो और अध्यापक भी समर्पित हो हमे इसके लिए अपने सेवानिवृत्त अध्यापक चाहिए जो निःस्वार्थ भाव से शिक्षा दे सकें। 



 पं. अभिषेक मिश्रा, पूर्व कैबिनेट मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि आज एक महत्वपूर्ण मंच से सामाजिक परिवर्तन की चर्चा हो रही है यह हमारे समाज के लिए अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि ताकत सिर्फ संगठन में नहीं होती विचारों की भी होती है। हम उस विचार को भी प्रणाम करते हैं। यह कहना गलत है कि कोई भी ब्राह्मण नेता ब्राह्मण हित की बात नहीं करता यदि हमारे अंदर पीड़ा नहीं होती तो हम दस घंटे का सफर तय करके आज यहां नहीं पहुंचते और ना ही यह मंच साझा करते। सर्वप्रथम हमें एक दूसरे की बुराई करने की आदत को छोड़ना पड़ेगा। लोकतांत्रिक व्यवस्था में बिना राजनीति के किसी भी मुकाम को पाना असंभव है। विचारणीय प्रश्न यह है कि जिन कारणों से हम पूजे जाते हैं, हजारों वर्ष पहले हमारे पूर्वजों ने तप किया था क्या हम आज वैसा त्याग कर सकते हैं महर्षि दधीचि ने अपना पूरा शरीर दान कर दिया था। क्या आज हम अपने जेब में रखे सौ रूपये भी किसी जरूरतमंद को दे सकते हैं। आज जो समाज हमारी अवहेलना कर रहा है उन्हें याद रखना होगा कि तपा हुआ हीरा है ब्राह्मण, हमारे बीज अभी मरे नहीं हैं हम आज भी आग हैं। सम्मान ब्राह्मणत्व का होता है हमें इसे विकसित करना है। शिक्षा, संस्कार और सेवा पर ध्यान देना होगा। कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन जमाना हमारा, अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद का समाज के उत्थान हेतु किए जा रहे प्रयास कार्य प्रयास व्यर्थ नहीं जाएंगे यह हमारा वादा है, हम सदैव परिषद के साथ खड़े हैं।
 पं. सोमेश मिश्रा, पूर्व राज्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि भगवान परशुराम गायत्री मंत्र को हमने जीवन का आधार बना लिया है। लखनऊ में मैं एक सिपाही के रूप में काम कर रहा  हूं। ब्राह्मण समाज के मार्गदर्शक जुगल जी द्वारा रचित आल्हा सुनकर रोम-रोम प्रफुल्लित हो जाता है। उन्होंने कहा कि हम संघर्ष से ही आज यहां तक पहुंचे हैं। आज दीपक की लौ मध्यम हो गई है इसे ऊर्जा प्रदान करना जरूरी है। परिषद की खातिर हम तन, मन, धन और बल के साथ सदैव मौजूद रहेंगे। हमारी ओर से परिषद जब चाहे एक आयुर्वेद चिकित्सालय की स्थापना कर सकती है उसकी सम्पूर्ण व्यवस्था डॉक्टर दवाईयों सहित हम उपलब्ध करवाने को तैयार हैं।
 पं. संतोष कुमार पांडे पू. विधायक लम्हुआ, सुल्तानपुर ने कहा कि सामाजिक जीवन में हम ब्राह्मणों के हित के लिए काम करने का प्रयास करते हैं। हम से जुड़ा हर व्यक्ति पं. जुगल जी को जानता है एवं उनसे मिलना चाहता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में अपना समाज ही अपनों का दुश्मन बना बैठा है कोई राजा रानी हो हम उससे डरते नहीं हमें सुदामा की कहानी सुना-सुना कर कमजोर कर दिया गया है। जिस दिन हम एक हो जाएंगे हम अपना भला स्वयं कर लेंगे। भगवान परशुराम की 108 फीट ऊंची भव्य मूर्ति की व्यवस्था कर ली गई है जो तीन एकड़ भूमि पर स्थापित की जाएगी। हमारी इच्छा है घर-घर भगवान परशुराम पूजे जाएं। 



 परिषद के राष्ट्रीय सचिव पं. आशुतोष चैबे ने संगठन का परिचय देते हुए कहा कि अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद पूर्ण रूप से गैर राजनैतिक है जो कि मात्र ब्राह्मणों के हित के लिए काम कर रही है। उन्होंने परिषद के सात सूत्रों को धारण करने का सभी से आग्रह किया।
 परिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पं. श्याम शंकर शुक्ला ने बताया कि अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद सभी ब्राह्मण बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था कर रही है। जिसके अन्तर्गत आगामी अप्रैल माह से कक्षा 9 से 12 तक के सभी विषयों के वीडियो परिषद की वेबसाइट पर उपलब्ध हो जायेंगे। सभी बच्चों को सेल्फ फाइनेंस पर टेबलेट की व्यवस्था कराई जाएगी, इसके साथ-साथ प्रत्येक माह ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की जाएगी, परीक्षा में प्राप्तः अंकों के आधार पर उनकी किस्त परिषद द्वारा जमा की जाएगी। इसके साथ-साथ बच्चों को प्रत्येक दिन कम से कम तीन घंटा पढाई करनी अनिवार्य होगा। इस वेबसाइट के माध्यम से अभिभावक भी अपने बच्चों पर निगरानी रख सकते हैं और जान सकते हैं कि उसने कितनी देर पढाई की है। बच्चों को निःशुल्क कोर्स के लिए परिषद से एक कोड दिया जायेगा जो कि प्रत्येक प्रदेश के प्रमुख पदाधिकारी को दिया जायेगा और वह कोड अपने प्रदेश के जिलों के प्रमुख को देंगे जिससे कोड सभी तक पहुँच सके। इसी प्रकार परिषद कक्षा 9 से 12 तक की शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा के लिए वीडियो जारी करेगी, जिससे समाज के सभी कार्यों में ब्राह्मणांे की भागीदारी सुनिश्चित हो सके, इसके साथ- साथ इंग्लिश, जर्मन, फ्रेंच बोलने के तरीके भी सिखाये जायेंगे।
 इससे पूर्व प्रथम सत्र में अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद की केंद्रीय कार्यकारिणी की तरफ से सभी प्रदेश पदाधिकारिओं से सुझाव मांगे गये एवं कार्य करने में आ रही कठिनाइयों के विषय पर विस्तृत चर्चा हुई। कार्यक्रम में प्रमुख अतिथियों का भगवान परशुराम जी का चित्र एवं अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मान किया गया। परिषद की पत्रिका के विशेषांक का लोकार्पण भी अतिथियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम में परिषद का विशेष कार्य करने वाले कार्यकर्ताआंे का मंच से अतिथियों द्वारा सम्मान किया गया। संचालन उत्तराखण्ड के प्रदेश संयोजक पं. बालकृष्ण शास्त्री ने किया। 



 इस मौके पर पूर्व एसडीएम पं. जेपी मिश्रा, मध्यप्रदेश के संयोजक पं. अवधेश उर्मिलिया, पं. वेदप्रकाश मिश्र आयकर आयुक्त दिल्ली, संगठन सचिव इंजीनियर अरविंद शुक्ला, पं. वैभव मिश्रा, राष्ट्रीय संयोजक व्यपार प्रकोष्ठ पं. परिवर्तन शुक्ला, राष्ट्रीय संयोजक शिक्षा प्रकोष्ठ पं. प्रवीन मिश्रा, प्रबुद्ध प्रकोष्ठ पं. संजय त्रिवेदी, पं. शिव प्रसाद मिश्र सेनानी जी प्रतापगढ़, पं. आशुतोष उपाध्याय, युवा प्रकोष्ठ पं. साजन दीक्षित, पं. ऐश्वर्य पाण्डेय, पं. दिवाकर उपाध्याय, पं. मनोज त्रिपाठी, पं. शरद उपाध्याय, पं. प्रदीप शर्मा हरिद्वार, डॉ. नवनीत तिवारी मुरादाबाद, डाॅ. ममता शुक्ला, एडवोकेट पं. देवेंद्र त्रिपाठी हाईकोर्ट, एडवोकेट पं. जगत नारायण मिश्रा  हाईकोर्ट, पं. अभिनव उपाध्याय, पं. जितेंद्र शुक्ला लखनऊ, पं. महेश मिश्रा अंतू अधिवक्ता, पं. बृजेश मिश्रा, सौरभ पूर्व विधायक, एडवोकेट पं. बीके पांडेय हाईकोर्ट, प्रदेश अध्यक्ष विधि प्रकोष्ठ, पं. राकेश कुमार पांडे अधिवक्ता प्रयागराज सहित सम्मेलन में विप्र समाज के प्रबुद्ध वर्ग द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। कार्य क्रम में पं. महेश मिश्रा, पं. विक्रमवीर शुक्ला, पं. धनंजय शुक्ला, पं. डीपी शुक्ला, पं. भास्कर शुक्ला, पं. मनोज शुक्ला, पं. राजेन्द्र प्रसाद तिवारी, पं. सत्यम शुक्ला, पं. गणेश मिश्रा, पं. अंकित त्रिपाठी, पं. बृज गोपाल त्रिपाठी, पं. लवकुश द्विवेदी, पं. अनुज पाण्डेय, पं. पंकज तिवारी, पं. कृष्णा शुक्ला, पं. अरविन्द द्विवेदी, पं. विजय द्विवेदी, पं. हिमांशु तिवारी, डाॅ. भरत नरेश, पं. अनुराग पाठक, पं. संजय शुक्ला, पं. आदश तिवारी सहित सैकडों विप्रगण मौजूद रहे।